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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=भोजपुरी }} १. काहे को ब्य…
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{{KKLokRachna
|रचनाकार=अज्ञात
}}
{{KKLokGeetBhaashaSoochi
|भाषा=भोजपुरी
}}
१.
काहे को ब्याहे बिदेस अरे सुन बाबुल मोरे<br />
मैं बाबुल तोरे आंगन की पंक्षी<br />
फ़ुदक फ़ुदक उड़ि जाउं रे<br />
सुन बाबुल मोरे<br />
मैं बाबुल तोरे आंगन की गंइया<br />
जहां बांधो, बंध जाऊं रे<br />
सुन बाबुल मोरे<br />
<br />
चार बरस पहले गुड़िआ छोड़ा<br />
छुटा बाबुल तोरा देस रे<br />
सुन बाबुल मोरे<br />
<br />
जाई डोली पहूंचि अवधपुर<br />
छूटा जनक तोरा देस रे<br />
सुन बाबुल मोरे<br />
<br />
२.<br />
सेनुरा बरन हम सुन्दर हो बाबा, इंगुरा बरन चटकार हो<br />
मोतिया बरन बर खोजिहा हो बाबा, तब होइ हमरा बियाह हो<br />
ताल सुखीय गईले पोखरा सुखीय गईले, इनरा परे हाहाकार हो<br />
बेटी के बाबुजी के दलकी समा गईले कईसे में होईहे बियाह हो<br />
जाई ना बाबा अवधपुर नगरिया राजा दशरथ के दुआर हो<br />
राजा दशरथ के चार बेटवा, चारु सं बाड़े कुंवार हो<br />
चार भईया में सुन्दर बर सांवर उनके के तिलक चढ़ाव हो<br />
ताल भरीय गईले पोखरा भरीये गईले इनरा पर परे झझकार हो<br />
बेटी के बाबुजी के खुसिया समा गईल, अब होईहे धर्म बियाह हो.<br />
<br />
हमारे समाज में हर रश्म के लिये गीत हैं और ये गीत ऐसे ही नहीं हैं. ये अपने समाज और अपनी परंपरा से जुड़े हुएं हैं. इनका स्रोत पौराणिक संदर्भ और प्राण लोक जीवन है.<br />
'''संकलन- रीता मिश्र'''
{{KKLokRachna
|रचनाकार=अज्ञात
}}
{{KKLokGeetBhaashaSoochi
|भाषा=भोजपुरी
}}
१.
काहे को ब्याहे बिदेस अरे सुन बाबुल मोरे<br />
मैं बाबुल तोरे आंगन की पंक्षी<br />
फ़ुदक फ़ुदक उड़ि जाउं रे<br />
सुन बाबुल मोरे<br />
मैं बाबुल तोरे आंगन की गंइया<br />
जहां बांधो, बंध जाऊं रे<br />
सुन बाबुल मोरे<br />
<br />
चार बरस पहले गुड़िआ छोड़ा<br />
छुटा बाबुल तोरा देस रे<br />
सुन बाबुल मोरे<br />
<br />
जाई डोली पहूंचि अवधपुर<br />
छूटा जनक तोरा देस रे<br />
सुन बाबुल मोरे<br />
<br />
२.<br />
सेनुरा बरन हम सुन्दर हो बाबा, इंगुरा बरन चटकार हो<br />
मोतिया बरन बर खोजिहा हो बाबा, तब होइ हमरा बियाह हो<br />
ताल सुखीय गईले पोखरा सुखीय गईले, इनरा परे हाहाकार हो<br />
बेटी के बाबुजी के दलकी समा गईले कईसे में होईहे बियाह हो<br />
जाई ना बाबा अवधपुर नगरिया राजा दशरथ के दुआर हो<br />
राजा दशरथ के चार बेटवा, चारु सं बाड़े कुंवार हो<br />
चार भईया में सुन्दर बर सांवर उनके के तिलक चढ़ाव हो<br />
ताल भरीय गईले पोखरा भरीये गईले इनरा पर परे झझकार हो<br />
बेटी के बाबुजी के खुसिया समा गईल, अब होईहे धर्म बियाह हो.<br />
<br />
हमारे समाज में हर रश्म के लिये गीत हैं और ये गीत ऐसे ही नहीं हैं. ये अपने समाज और अपनी परंपरा से जुड़े हुएं हैं. इनका स्रोत पौराणिक संदर्भ और प्राण लोक जीवन है.<br />
'''संकलन- रीता मिश्र'''