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<Poem>
हवा में पूरी ताज़गी है गजनगर्जन-तर्जन के बाद
और हर चीज़ ख़ुशियाँ मना रही है, जग रही है ।
अपने नील-ल्हित गुच्छों के पूर्ण-प्रस्फ़ुटन के साथ
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