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तूफ़ान के बाद / बरीस पास्तेरनाक
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15:53, 28 जनवरी 2011
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<Poem>
हवा में पूरी ताज़गी है
गजन
गर्जन
-तर्जन के बाद
और हर चीज़ ख़ुशियाँ मना रही है, जग रही है ।
अपने नील-ल्हित गुच्छों के पूर्ण-प्रस्फ़ुटन के साथ
अनिल जनविजय
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