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लोकतंत्र में ईश्वर / राकेश रोहित
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19:44, 4 फ़रवरी 2011
वह ईश्वर नहीं था
हमारे ही बीच का आदमी था
जिसे जनतंत्र ने भगवान बना दिया
था ।
</poem>
अनिल जनविजय
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