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मैं आज भी अफ़सोस में हूँ / अनिल जनविजय
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06:35, 8 फ़रवरी 2011
तुम आई थीं आशा लेकर
मौन
होठों
होंठों
की भाषा लेकर
मुझसे चाहा था बस इतना
मेरा अंश परमाणु जितना
अनिल जनविजय
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