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अब वह नहीं आती / अनिल जनविजय

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कभी वह आती थी उदास, कँपकँपाती हुई
खामोश ख़ामोश रहती थी, बात नहीं करती थी
कभी घर-भर में या बाहर कभी लान में
चक्कर काटती रहती थी मौन
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