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|रचनाकार=मुनव्वर राना
|संग्रह=मुहाजिरनामा / मुनव्वर राना
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<poem>
मुहाजिर हैं मगर हम एक दुनिया छोड़ आए हैं,
तुम्हारे पास जितना है हम उतना छोड़ आए हैं ।
कहानी का ये हिस्सा आजतक आज तक सब से छुपाया है,
कि हम मिट्टी की ख़ातिर अपना सोना छोड़ आए हैं ।
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