भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'''उत्केंद्रित ?'''
मैं ज़िंदगी से भागना नहीं
मनुष्यता की ओर ज़्यादा सरका हुआ......
'''जन्म-कुंडली'''
गोदती चली जाती.....वृक्ष......वृक्ष......वृक्ष
पूर्णतर लौटूँगा
घर पहुँचना
कविः कुंवर नारायण
प्रस्तुतिः जयप्रकाश मानस
Anonymous user