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तेरी हर बात मोहब्बत मेँ में गवारा करकेदिल के बाज़ार मेँ में बैठे हैँ ख़सारा<ref>हानि, क्षति, नुक्सान</ref> करके
एक चिन्गारी नज़र आई थी बस्ती मेँ उसे
चाँद को छत पे बुला लूँगा इशारा करके
मैँ मैं वो दरिया हूँ कि हर बूँद भंवर है जिसकी
तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके
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