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यह लो, करते ही रहते हैं अपने व्‍यंग्‍य मलिन उपहास
तब भी कहते हो-कह डालूँ दुर्बता दुर्बलता अपनी बीती।
तुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे-यह गागर रीती।
बाकी भाग आज रात तक प्रकाशित कर दिया जाएगा।किंतु कहीं ऐसा न हो कि तुम ही खाली करने वाले- अपने को समझो, मेरा रस ले अपनी भरने वाले। यह विडंबना
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