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आग सीने में मोहब्बत की लगा देते हैं / सिराज फ़ैसल ख़ान
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12:02, 17 फ़रवरी 2011
<poem>
आग सीने में मोहब्बत की लगा देते हैं
"मीर" मिलते
हैँ
हैं
मुझे जब भी रुला देते हैं
एक तुम हो कि गुनाह कह के टाल जाते हो
Shrddha
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