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{{KKRachna
|रचनाकार= तुफ़ैल चतुर्वेदी
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<poem>बेचैनी पल-पल मुझमें
कोई है घायल मुझमें

मेरी ज़ंग है ख़्वाबों से
खुद मेरा मक़तल मुझमें

मुझमें मुझसे कौन ख़फ़ा
रात और दिन हलचल मुझमें

कोंपल-कोंपल रोता है
इक जलता जंगल मुझमें

मैं आकाश का सूनापन
उड़ते हैं बादल मुझमें

ढ़ूँढ़ती है अपनी आवाज़
इक गूँगी कोयल मुझमें

थोड़ा बचकर चल प्यारे
है गहरा इक दलदल मुझमें
<poem>
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