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Kavita Kosh से
प्रबल भूप सेवहिं सकल,धुनि निसान बहु साद
Ek phul ke chah Subhdra kumari chauhan ki kavita ----------------------------------------------------------- (१.) होंगे वे कोइ और/श्रीकृष्ण श्री कृष्ण सरल(२) चंद्रसेन विराट की निम्न लिखित कविता****** तुम कभी थे सूर्य लेकिन अब दियों तक आ गये/थे कभी मुख पृष्ठ पर अब हाशियों तक आ गये*******(२)
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