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ढाका से वापसी पर / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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21:49, 12 मार्च 2011
{{KKRachna
|रचनाकार=फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
|संग्रह=शामे-शह्रे-याराँ / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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[[Category:गज़ल]]
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<
<poem>
हम केः ठहरे अजनबी इतनी मदारातों<ref>आवभगत</ref> के बाद
फिर बनेंगे आशना<ref>परिचित</ref> कितनी मुलाक़ातों के बाद
अनिल जनविजय
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