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फ़िरंगी का दरबान / हबीब जालिब
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15:42, 15 मार्च 2011
ज़मीनें मेरी हर सूबें में होतीं
मैं
वल्लह सदेर
वल्लाह सदर-ए
पाकिस्तान होता
</poem>
अनिल जनविजय
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