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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अदम गोंडवी }} [[Category:ग़ज़ल]] <poem> आँख पर पट्टी रहे और अ…
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{{KKRachna
|रचनाकार=अदम गोंडवी
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहे
अपने शाहे-वक़्त का यूँ मर्तबा आला रहे
तालिबे शोहरत हैं कैसे भी मिले मिलती रहे
आए दिन अख़बार में प्रतिभूति घोटाला रहे
एक जनसेवक को दुनिया में अदम क्या चाहिए
चार छ: चमचे रहें माइक रहे माला रहे
</poem>
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|रचनाकार=अदम गोंडवी
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहे
अपने शाहे-वक़्त का यूँ मर्तबा आला रहे
तालिबे शोहरत हैं कैसे भी मिले मिलती रहे
आए दिन अख़बार में प्रतिभूति घोटाला रहे
एक जनसेवक को दुनिया में अदम क्या चाहिए
चार छ: चमचे रहें माइक रहे माला रहे
</poem>