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|संग्रह=वंशी और मादल / ठाकुरप्रसाद सिंह
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[[Category:नवगीत]]{{KKCatNavgeet}}<poem>
मेरे घर के पीछे चन्दन है
 
लाल चन्दन है
 
तुम ऊपर टोले के
 
मैं निचले गाँव की
 
राहें बन जाती हैं रे
 
कड़ियाँ पाँव की
 
समझो कितना मेरे प्राणों पर बन्धन है!
 
आ जाना बन्दन है
 
लाल चन्दन है
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