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लोग कहतें हैं साल ख़त्म हुआ दौर ए रंज ओ मलाल ख़त्म हुआइशरतों का पयाम आ पहुँचाअहद-ए नौ शादकाम आ पहुँचागूँजती हैं फ़िज़ाएँ गीतों सेरक्स करते हैं फूल और तारेमुस्कराती है कायनात तमामजगमगाती है कायनात तमाम मुझ को क्यूँ कर मगर यकीं आए
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