गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
शंबूक का कटा सिर / ओमप्रकाश वाल्मीकि
3 bytes added
,
21:28, 22 मार्च 2011
जब भी मैंने
किसी घने वृक्ष की छाँव में बैठकर
घडी
घड़ी
भर सुस्ता लेना चाहा
मेरे कानों में
भयानक चीत्कारें गूँजने लगी
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,865
edits