गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
मेरी पहचान रहेगी मेरे अफसानों में / श्रद्धा जैन
No change in size
,
16:19, 25 मार्च 2011
<poem>
जैसे होती थी किसी दौर में, हैवानों में
बेयकीनी
बेसकूनी
है वही आज के इंसानों में
जल्द उकताते हैं हर चीज़ से, हर मंजिल से
Shrddha
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
3,286
edits