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{{KKRachna
|रचनाकार=त्रिलोचन
}}{{KKAnthologyGarmi}}{{KKCatKavita}}<poem>काली घटा गगन में छाई मंद हुआ भूतल पर ताप
रिमझिम रिमझिम पानी बरसा इधर उधर है उस की छाप॥