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{{KKRachna
|रचनाकार=नंददास
}}{{KKAnthologyGarmi}}
[[Category:पद]]
<poeM>
'''(राग विहाग)'''
रुचिर चित्रसारी सघन कुंज में मध्य कुसुम-रावटी राजै ।
चंदन के रूख चहुँ ओर छवि छाय रहे,
फूलन के अभूषन-बसन, फूलन सिंगार सब साजै ॥
सीयर तहखाने में त्रिविध समीर सीरी,
चंदन के बाग मध चंदन-महल छाजै ।
नंददास प्रिया-प्रियतम नवल जोरि,
बिधना रची बनाय, श्री ब्रजराज विराजै ॥
</poem>
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'''(राग विहाग)'''
रुचिर चित्रसारी सघन कुंज में मध्य कुसुम-रावटी राजै ।
चंदन के रूख चहुँ ओर छवि छाय रहे,
फूलन के अभूषन-बसन, फूलन सिंगार सब साजै ॥
सीयर तहखाने में त्रिविध समीर सीरी,
चंदन के बाग मध चंदन-महल छाजै ।
नंददास प्रिया-प्रियतम नवल जोरि,
बिधना रची बनाय, श्री ब्रजराज विराजै ॥
</poem>