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अरमान मेरे दिल का निकलने नहीं देते / अकबर इलाहाबादी
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09:23, 1 अप्रैल 2011
<poem>
ख़ातिर से तेरी याद को टलने नहीं देते
सच है कि
हमीं
हम ही
दिल को संभलने नहीं देते
आँखें मुझे
तल्वों
तलवों
से वो मलने नहीं देते
अरमान मेरे दिल का निकलने नहीं देते
Kartikey agarwaal khalish
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