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चाँद को रुख़्सत कर दो / अली सरदार जाफ़री
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|संग्रह=मेरा सफ़र / अली सरदार जाफ़री
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मेरे दरवाज़े से अब चाँद को रुख़्सत<ref>विदा कर दो
Pratishtha
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