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मृत्यु / अष्टभुजा शुक्ल

45 bytes added, 20:27, 5 अप्रैल 2011
{{KKRachna
|रचनाकार=अष्‍टभुजा शुक्‍ल
}}{{KKAnthologyDeath}}{{KKCatKavita}}<poem>
कराह सुनकर
 
जो न टूटे
 
नींद नहीं,
 
मृत्यु है
 
 
चाहे जितना थका हो आदमी
 
और चाहे जब सोया हो ।
</poem>