भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKRachna
|रचनाकार=मुईन अह्सन जज़्बी
}} {{KKAnthologyDeath}} {{KKCatKavita}}
अपनी सोई हुई दुनिया को जगा लूं तो चलूं<br>
अपने ग़मख़ाने में एक धूम मचा लूं तो चलूं<br>