भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उम्मीद / ज़िया फ़तेहाबादी

8 bytes added, 01:36, 7 अप्रैल 2011
:तेरे रँगीन ओ हसीँ सपने हैं मकर और फ़रेब
:ज़िन्दगी तल्ख़ हक़ीक़त है तो फिर तल्ख़ सही
</poem>