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कोई पल भी हो इल दिल पे भारी लगे,
फ़ज़ा में अजब सोगवारी लगे।
ग़ज़ल क्यों ने जादू निगारी लगे।
ग़ज़ल का को कहाँ से कहा जाएगा,
वो लहजा जो जज़्बों से आरी लगे।