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|विविध= ग़ज़ल जैसी ही रचना पर आधारित इस पुस्तक की कविताओं के लिए कवि ने नया नाम पंचलड़ी दिया, इसी नाम को नवीन विधा के रूप में स्वीकारते हुए कवि ओम पुरोहित "कागद" ने इसी नाम से पुस्तक प्रकाशित करवाई है जि स जिसे इस विद्या के विकास के रूप में देखी देखा जा रही सकता है ।
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*[[अगूण गोखै ऊभी बडभागण देखो / सांवर दइया]]