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बालक / अनिल जनविजय

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|रचनाकार=अनिल जनविजय
|संग्रह=राम जी भला करें / अनिल जनविजय
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देखा था उसने जवाहर को बचपन में
 
तब उम्र बहुत सरस थी
 
तीन-चार बरस की
 
सफ़ेद चूड़ीदार पाजामा
 
सिर पर सफ़ेद टोपी थी
 
छाती पर लाल गुलाब सजा
 
श्वेत था परिधान पूरा श्वेत अचकन में
 
तुम भी ऎसे ही बनना--माँ ने कहा
 
जगा दिया बालक के मन में सपना नया
 
फिर जिद्दी उस बच्चे ने चाही
 
वैसी ही पोशाक
 
अचकन, चूड़ीदार पाजामा,
 
लाल गुलाब हो साथ
 
कई बरस बना रहा वह वैसा ही जवाहर
स्वदेश बसा उसके दिल में अब भी
 
जनता को अपनी वह करता है प्यार
 
उम्र हुई अब उस बालक की आठ कम पचपन की
 
(2004 में रचित )
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