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{{KKLokRachna
|रचनाकार=अज्ञात
}}
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}}
<poem>
रचाओ हो बाबुल मेरो ब्याह रचाओ - २
कैऊ कल्प बीत गये याकों
तौऊ भई नहिं शादी है
ब्रह्मा विष्णु गोद खिलाये
महादेव की दादी है....
</poem>
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|रचनाकार=अज्ञात
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|भाषा=ब्रजभाषा
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<poem>
रचाओ हो बाबुल मेरो ब्याह रचाओ - २
कैऊ कल्प बीत गये याकों
तौऊ भई नहिं शादी है
ब्रह्मा विष्णु गोद खिलाये
महादेव की दादी है....
</poem>