भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=ब्रजभाषा }} <poem> रचाओ हो ब…
{{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|रचनाकार=अज्ञात
}}
{{KKLokGeetBhaashaSoochi
|भाषा=ब्रजभाषा
}}
<poem>
रचाओ हो बाबुल मेरो ब्याह रचाओ - २

कैऊ कल्प बीत गये याकों
तौऊ भई नहिं शादी है
ब्रह्मा विष्णु गोद खिलाये
महादेव की दादी है....
</poem>