भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=खड़ी बोली }} <poem> मेरी पसल…
{{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|रचनाकार=अज्ञात
}}
{{KKLokGeetBhaashaSoochi
|भाषा=खड़ी बोली
}}
<poem>
मेरी पसली में दरद हुया री मेरी माँ
मरी री मेरी माँ, मरी री मेरी माँ
मेरी पसली में दरद हुया री मेरी माँ

कहे तो बेटी तेरे सुसरे ने बुला द्यूँ -२
नहीं री मेरी माँ, नहीं री मेरी माँ
उस बुड्ढे का काम नहीं री मेरी माँ
मेरी पसली में दरद हुया री मेरी माँ

कहे तो बेटी तेरे जेठ ने बुला द्यूँ -२
नहीं री मेरी माँ, नहीं री मेरी माँ
उस मुच्छड़ का काम नहीं री मेरी माँ
मेरी पसली में दरद हुया री मेरी माँ

कहे तो बेटी तेरे देवर ने बुला द्यूँ -२
नहीं री मेरी माँ, नहीं री मेरी माँ
उस बालक का काम नहीं री मेरी माँ
मेरी पसली में दरद हुया री मेरी माँ

कहे तो बेटी तेरे पिया ने बुला द्यूँ -२
जियो री मेरी माँ, जियो री मेरी माँ
मेरी पसली का दरद गया री मेरी माँ
</poem>