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काली बिल्ली ढूंढ रही/ शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान
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07:45, 29 अप्रैल 2011
घिरे अँधरे में भी इसकी
चमक रही हैं
आँखे
आँखें
,
जैसे रातों में दिखती हैं
तपती हुई सलाखें,
Dr. ashok shukla
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