भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एकांत श्रीवास्तव

565 bytes added, 21:26, 25 जून 2007
वे बचाते हैं कि उन्हें बचाना ही है
अपनी आवाज़ और हृदय का शहद।
 
बिजली
बिजली गिरती है
और एक हरा पेड़ काला पड़ जाता है
फिर उस पर न पक्षी उतरते हैं
न वसंत
एक दिन एक बढ़ई उसे काटता है
और बैलगाड़ी के पहिये में
बदल देता है
दुख जब बिजली की तरह गिरता है
तब राख कर देता है
या देता है नया एक जन्म।
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits