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जानें जाने क्यों तुमसे मिलने की आशा कम, विश्वास बहुत है |
सहसा भूली याद तुम्हारी उर में आग लगा जाती है
विरहातप विरह-ताप भी मधुर मिलन के सोये मेघ जगा जाती है,
मुझको आग और पानी में रहने का अभ्यास बहुत है
जानें जाने क्यों तुमसे मिलने की आशा कम, विश्वास बहुत है |
धन्य -धन्य मेरी लघुता को, जिसने तुम्हें महान बनाया,
धन्य तुम्हारी स्नेह-कृपणता, जिसने मुझे उदार बनाया,
मेरी अन्धभक्ति को केवल इतना मन्द प्रकाश बहुत है
जानें जाने क्यों तुमसे मिलने की आशा कम, विश्वास बहुत है |
अगणित शलभों के दल के दल एक ज्योति पर जल -जल मरतेएक बूंद बूँद की अभिलाषा में कोटि -कोटि चातक तप करते,
शशि के पास सुधा थोड़ी है पर चकोर की प्यास बहुत है
जानें जाने क्यों तुमसे मिलने की आशा कम, विश्वास बहुत है |
मैनें मैंने आँखें खोल देख ली है नादानी उन्मादों की मैनें मैंने सुनी और समझी है कठिन कहानी अवसादों की,फ़िर फिर भी जीवन के पृष्टों पृष्ठों में पढने पढ़ने को इतिहास बहुत हैजानें जाने क्यों तुमसे मिलने की आशा कम, विश्वास बहुत है |
ओ ! जीवन के थके पखेरू, बढे बढ़े चलो हिम्मत मत हारो,
पंखों में भविष्य बंदी है मत अतीत की ओर निहारो,
क्या चिंता धरती यदि छूटी उड़ने को आकाश बहुत है
जानें जाने क्यों तुमसे मिलने की आशा कम, विश्वास बहुत है |
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