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राम की कृपालुता -5 '''( छंद संख्या 9, / तुलसीदास/ 10)''' (9) नरनारि उधारि सभा महुँ होत दियो पटु , सोचु हर्यो मनको। प्रहलाद बिषाद-निवारन , बारन-तारन, मीत अकारनको।। जो कहावत दीनदयाल सही, जेहि भारू सदा अपने पनको।। ‘तुलसी’ तजि आन भरोस मजें , भगवानु भलो करिहैं जनको।9।
(10)
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