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आल्ड खण्ड / जगनिक
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09:27, 14 मई 2011
है कोउ क्षत्री तुम्हारे दल में। सन्मुख लडै हमारे साथ॥
यह सुनि पिरथी बोलन लागे।
लाखनि
लाखन
सुनो हमारी बात।
बारह रानिन के इकलाता। औ सोलै के सर्व सिंगार॥
आस लकडिया हौ जैचंद की। नाहक देहौ प्राण गँवाय।
डा० जगदीश व्योम
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