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गीत कवि की व्यथा २ / किशन सरोज
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09:29, 14 मई 2011
अनुराग, राग विराग
सौ सौव्यंग
-
शर इसने सहे
जब जब हुए गीले नयन
तब तब लगाये कहकहे
डा० जगदीश व्योम
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