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मेरा कक्ष / वसंत जोशी

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{{KKGlobal}}{{KKAnooditRachna|रचनाकार=वसंत जोशी |संग्रह= }}<poem>जानता हूं इस मिट्टी को
नहीं उपजाऊ-स्थल
नहीं मरुस्थल
तो कभी-कभार
मेरे स्पर्श से
 
'''अनुवाद : नीरज दइया'''
</poem>