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{{KKAnooditRachna
|रचनाकार=रित्सुको कवाबाता
}}
[[Category:जापानी भाषा]]
<poem>
दादी माँ के हाथ पर झुर्रियां हैं
ध्यान से देखती हूँ अपना हाथ
"ओह मेरा,इस पर भी हैं झुर्रियां! "
गहरी झुर्रियां
हर जोड़ पर
हो जाती हैं गायब जब करती हूँ बंद हाथ .
"त्वचा सिलवट रहित है "
त्वचा लपटी है मेरे हाथ पर
मात्र एक त्वचा लिपटी है हाथ पर !
जब मैं पलटती हूँ अपना हाथ
मेरी हथेली लगती है सपाट
जोड़ों पर हैं रेखाएं !
हतप्रभ मैं सोचती हूँ
मेरे हाथ की सतह
कोमल है और पतली !
यह एक सार है सिलवट रहित !
'''अनुवादक: [[मंजुला सक्सेना]]'''
</poem>
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[[Category:जापानी भाषा]]
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दादी माँ के हाथ पर झुर्रियां हैं
ध्यान से देखती हूँ अपना हाथ
"ओह मेरा,इस पर भी हैं झुर्रियां! "
गहरी झुर्रियां
हर जोड़ पर
हो जाती हैं गायब जब करती हूँ बंद हाथ .
"त्वचा सिलवट रहित है "
त्वचा लपटी है मेरे हाथ पर
मात्र एक त्वचा लिपटी है हाथ पर !
जब मैं पलटती हूँ अपना हाथ
मेरी हथेली लगती है सपाट
जोड़ों पर हैं रेखाएं !
हतप्रभ मैं सोचती हूँ
मेरे हाथ की सतह
कोमल है और पतली !
यह एक सार है सिलवट रहित !
'''अनुवादक: [[मंजुला सक्सेना]]'''
</poem>