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पीटा था
मैल कट गया पर ये न कटीं
यह और अन्दर चलीं गयींगईं
हम ने निर्मम होकर इन्हें उतार दिया
इन्होंने कुछ नहीं कहा
पर हर बार
ये हमारा कुछ अंश ले गयींगईं
जिसे हम जान न सके
त्वचा से इनका जो सम्बन्ध है वह रक्त तक है
रक्त का सारा उबाल इन्होंने सहा है
इन्हें खोलकर देखो
इन में हमारे खून ख़ून की खुशबू जरूर ख़ुशबू ज़रूर होगी
अभी ये मौन हैं
पर इन की एक एक परत में जो मन छिपा है
वह हमारे जाने के बाद बोलेगा
यादें आदमी के बीत जाने के बाद ही बोलती हैं
बक्सों में बन्द रहेने रहने दो इन्हेंजब पूरी फुर्सत फ़ुर्सत हो तब देखनाइन का वार्तालाप बडा़ ईष्यालू ईष्यालु है
कुछ और नहीं करने देगा
</poem>
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