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बीज / अनिल विभाकर

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बस थोड़ी सी मिट्टी चाहिए
थोड़ी सी मिट्टी मिली नहीं कि उग जाते हैं बीज
जड़ें कितनी गहरी होंगी
कोई चिंता नहीं
उगने का उत्साह उनमें कभी कम नहीं होता
पता नहीं क्यों खत्म हो जाता है
आदमी का उत्साह
जब भी खत्म होने लगे उत्साह
बीज हमेशा देंगे आपका साथ
जब भी घटने लगता है उत्साह
हमें हमेशा याद आते हैं बीज
और घने पेड़ की तरह हरा हो जाता हूं मैं।</poem>