भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
सूरज का नाम
बंजर एक बचे,
प्रगति वधू अपने हाथों में
जोड़े सकल समाज हृदय में
सबके प्रेम जगे, pathreeli chattano par bhi
कोमल दूब उगे,
दुख, चिन्ता, भय जीत समय पर
अपनी कसें लगाम ।
अंधियारे के माथे पर लिख दें
सूरज का नाम ।
</poem>