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अखबारेां में प्रगति राज्य की
राज बांच रहा,
चढ़ा शनीचर प्रजा शीश पर
नंगा नाच रहा
 
नहर गांव तक पानी का
मीलों पता नहीं,
खुद की हुयी शिकायत खुद ही
दोषी जांच रहा
 
खेत धना का पर मुखिया ने
गेहूं बोया है
मिला न कब्जा बड़े बड़ों को
सब कुछ छाज रहा
 
न्यायालय के दरवाजों की
ऊंची ड्योढ़ी है
सेंध लगा दी उन हाथों ने
जिन पर नाज रहा
 
अपराधों का ग्राफ घटा यह
झूठ सरासर है
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