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|रचनाकार=नरोत्तमदास
}}
नरोत्तमदास के जीवन के विषय में कुछ विशेष ज्ञात नहीं है। शिवसिंह 'सरोज से पता चलता है कि ये बाडी नामक स्थान के रहने वाले कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे। इनके ग्रंथों में एक 'सुदामा चरित ही उपलब्ध है, यद्यपि कहा जाता है कि इन्होंने 'ध्रुव चरित तथा 'विचारमाला ग्रंथ भी रचे थे। सुदामा चरित अत्यंत सरस, सरल, स्वाभाविक एवं भक्ति-भाव परिपूर्ण एक रोचक खंड-काव्य है। इसी ग्रंथ के बल पर [[नरोत्तमदास ]] अक्षय कीर्ति के भागी हुए हैं।
'''महाकवि [[नरोत्तमदास ]] का कृतित्व'''
आलेख :- [[अशोक कुमार शुक्ला]]
हिन्दी साहित्य में ऐसे लोग विरले ही हैं जिन्होंने मात्र एक या दो रचनाओं के आधार पर हिन्दी साहित्य में अपना स्थान सुनिश्चित किया है। एक ऐसे ही कवि हैं, उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद में जन्मे कवि [[नरोत्तमदास ]], जिनका एकमात्र खण्ड-काव्य ‘सुदामा चरित’ (ब्रजभाषा में) मिलता है जो हिन्दी साहित्य की अमूल्य धरोहर मानी जाती है ।
डा0 रामकुमार वर्मा ने नरोत्तमदास के काव्य के संदर्भ में लिखा हैः-
‘कथा संगठन,’ ‘नाटकीयता’, ‘विधान, भाव, भाषा, द्वन्द्व’ आदि सभी दृष्टियों से [[नरोत्तमदास ]] कृत सुदामा चरित श्रेष्ठ रचना है ।’
कवि का कृतित्व इस प्रकार है।