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आज तो शीशे को पत्थर पे बिखर जाने दे / गुलाब खंडेलवाल
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18:41, 16 जून 2011
आज तो शीशे को पत्थर पे बिखर जाने दे
दिल को रो लेंगें,
ये
दुनिया तो सँवर जाने दे
ज़िन्दगी कैसे कटी तेरे बिना, कुछ मत पूछ
अपनी धड़कन मेरे दिल में भी उतर जाने दे
जी तो भरता नहीं इन आँखों की
खुशबू
ख़ुशबू
से, मगर
ज़िन्दगी का बड़ा लंबा है सफ़र, जाने दे
Vibhajhalani
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