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Main tumhe dhune sawarg ke dawar tak gayaमैं तुम्हें ढूँढने स्वर्ग के द्वार तक roz jata rahaरोज आता रहा, roz aata rahaरोज जाता रहाtum gazal ban gaiतुम ग़ज़ल बन गई, geet me dhal gaiगीत में ढल गईmanch se main gungunata rahaमंच से में तुम्हें गुनगुनाता रहा
jindagi ke sabhi rasate ek theजिन्दगी के सभी रास्ते एक थे sabaki manzil tumhare chayan tak rahiसबकी मंजिल तुम्हारे चयन तक गई aprakashit rahe pir ke upnishadअप्रकाशित रहे पीर के उपनिषद् man ke gopan kathayen nayan tak rahinमन की गोपन कथाएँ नयन तक रहीं pran ke prashan per priti ki alpanaप्राण के पृष्ठ पर गीत की अल्पना tum mitati rahin main banata rahaतुम मिटाती रही मैं बनाता रहाtum gazal ban gaiतुम ग़ज़ल बन गई, geet main dhal gaiगीत में ढल गई manch se main gungunata rahaek khamosh halchal bani jindagiमंच से में तुम्हें गुनगुनाता रहा
एक खामोश हलचल बनी जिन्दगी
गहरा ठहरा जल बनी जिन्दगी
तुम बिना जैसे महलों में बीता हुआ
उर्मिला का कोई पल बनी जिन्दगी
दृष्टि आकाश में आस का एक दिया
तुम बुझती रही, मैं जलाता रहा
तुम ग़ज़ल बन गई, गीत में ढल गई
मंच से में तुम्हें गुनगुनाता रहा
तुम चली गई तो मन अकेला हुआ
सारी यादों का पुरजोर मेला हुआ
कब भी लौटी नई खुशबुओं में सजी
मन भी बेला हुआ तन भी बेला हुआ
खुद के आघात पर व्यर्थ की बात पर
रूठती तुम रही मैं मानता रहा
तुम ग़ज़ल बन गई, गीत में ढल गई
मंच से में तुम्हें गुनगुनाता रहा
मैं तुम्हें ढूँढने स्वर्ग के द्वार तक
रोज आता रहा, रोज जाता रहा
gahara thehara jal bani jindagitum bina jaise mehalon me bita huaurmila ka koi pal bani jindagidrishti aakash main aas ka ek diyatum bujhati rahi, main jalata rahatum gazal ban gai, geet main dhal gaimanch se main gungunata raha  tum chali gai to man akela huasari yadon ka purjor mela huajab bhi loti nai khushbuon me saziman bhi bela hua tan bhi bela huakhud ke aaghat per vayarth ki bat perroothti tum rahi main manata rahatum gazal ban gai, geet main dhal gaimanch se main gungunata raha Main tumhe dhune sawarg ke dawar tak gayaroz jata raha, roz aata raha {</poem} [Mukesh Negi]>
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