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|सारणी=शृंगार-लतिका / द्विज/ पृष्ठ 2
}}
<poem>
'''भुजंगप्रयात'''
''(परिपूर्ण ऋतुराज का प्रकाश रूप से वर्णन)''
रमैं पच्छिनी सौं सबै पच्छ जोरैं । बिहंगावली आपनौं भाव भोरैं ॥
जयंती-जपा जाति के बृच्छ नाना । धरैं हैं चहूँ कोद सौं मोद-बाना ॥१८॥
</poem>
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'''भुजंगप्रयात'''
''(परिपूर्ण ऋतुराज का प्रकाश रूप से वर्णन)''
रमैं पच्छिनी सौं सबै पच्छ जोरैं । बिहंगावली आपनौं भाव भोरैं ॥
जयंती-जपा जाति के बृच्छ नाना । धरैं हैं चहूँ कोद सौं मोद-बाना ॥१८॥
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