भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
न नगर में,
मजनुओं की डायरियों में भी न होतीं.
तब, प्रेम-पत्रों के दिन लडद लद जाते
ममता और प्रेम दूभर हो जाते
बुद्ध और गांधी अप्रिय हो जाते,