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कभी दो क़दम, कभी दस क़दम, कभी सौ क़दम भी निकल सके / गुलाब खंडेलवाल
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|संग्रह=हर सुबह एक ताज़ा गुलाब / गुलाब खंडेलवाल
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Vibhajhalani
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