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कोंकाबेली / प्रयाग शुक्ल
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12:04, 1 जनवरी 2009
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रयाग शुक्ल
|संग्रह=
यह जो हरा है
अधूरी चीज़ें तमाम
/ प्रयाग शुक्ल
}}
<Poem>
उगी है कोंकाबेली
फूली
पानी में--
फूलती थी जैसे बचपन में ।
पौधे ये और
फूल ये और
सुबह ये और
पर फूली है
कोंकाबेली
फूलती थी जैसे
मेरे बचपन के
इस
गाँव में !
</poem>
अनिल जनविजय
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